
~ *Today Panchang* ~


*दिनांक 23 दिसम्बर 2017*

*दिन – शनिवार*

*विक्रम संवत – 2074*

*शक संवत -1939*

*अयन – दक्षिणायण*

*ऋतु – शिशिर*

*मास – पौष*

*पक्ष – शुक्ल*

*तिथि – पंचमी रात्रि 12:24 तक तत्पश्चात षष्ठी*

*नक्षत्र – धनिष्ठा शाम 09:43 तक तत्पश्चात शतभिषा*

*योग – वज्र पूर्ण रात्रि तक*

*राहुकाल – सुबह 09:57 से सुबह 11:17 तक*

*सूर्योदय – 07:13*

*सूर्यास्त – 18:02*

*दिशाशूल – पूर्व दिशा में*

*व्रत पर्व विवरण*

*विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)*

*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)*

*हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)*

*नौकरी – व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें – ‘हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं हूँ । हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है । आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें । पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें ।*

*~ Today Panchang~*


*तुलसी पूजन विधि व तुलसी – नामाष्टक*


*तुलसी पूजन विधि*


🏻 *२५ दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें | उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढायें :*

*महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी*
*आधि व्याधि हरा नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते*

*फिर ‘तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें | दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की ७, ११, २१,५१ व १०८ परिक्रमा करें | उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें | तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है |*

*तुलसी – पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें | तुलसी के समीप रात्रि १२ बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति पायें | तुलसी – नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक है | तुलसी – पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में कर सकते हैं |*

*तुलसी – नामाष्टक*

*वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम् |*
*पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम् ||*
*एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |*
*य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||*

*भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं | यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है |*

*जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है | ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२२.३२-३३)*

*~ Today panchang ~*

Recent Comments