
~ *Today Panchang* ~


*दिनांक 14 दिसम्बर 2017*

*दिन – गुरुवार*

*विक्रम संवत – 2074*

*शक संवत -1939*

*अयन – दक्षिणायण*

*ऋतु – हेमंत*

*गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार मास – मार्गशीर्ष*

*मास – पौष*

*पक्ष – कृष्ण*

*तिथि – द्वादशी 15 दिसम्बर, प्रातः 05:07 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*

*नक्षत्र – स्वाती रात्रि 11:05 तक तत्पश्चात विशाखा*

*योग – अतिगण्ड रात्रि 01:15 तत्पश्चात सुकर्मा*

*राहुकाल – दोपहर 01:53 से शाम 03:14 तक*

*सूर्योदय – 07:08*

*सूर्यास्त – 17:57*

*दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*

*व्रत पर्व विवरण*

*विशेष – द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*स्कंद पुराण के अनुसार रविवार और द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*

*~ Today hindu Panchang ~*


*प्रदोष व्रत*

➡ *15 दिसम्बर 2017 शुक्रवार को प्रदोष व्रत है ।*

🏻 *यह एक पाक्षिक व्रत है अर्थात प्रत्येक महिने शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष की प्रदोषकालीन त्रयोदशी तिथि को व्रत रखते हैं।*

🏻 *स्कंदपुराण के अनुसार*
*त्रयोदश्यां तिथौ सायं प्रदोषः परिकीर्त्तितः । तत्र पूज्यो महादेवो नान्यो देवः फलार्थिभिः ।।*
*प्रदोषपूजामाहात्म्यं को नु वर्णयितुं क्षमः । यत्र सर्वेऽपि विबुधास्तिष्ठंति गिरिशांतिके ।।*
*प्रदोषसमये देवः कैलासे रजतालये । करोति नृत्यं विबुधैरभिष्टुतगुणोदयः ।।*
*अतः पूजा जपो होमस्तत्कथास्तद्गुणस्तवः । कर्त्तव्यो नियतं मर्त्यैश्चतुर्वर्गफला र्थिभिः ।।*
*दारिद्यतिमिरांधानां मर्त्यानां भवभीरुणाम् । भवसागरमग्नानां प्लवोऽयं पारदर्शनः ।।*
*दुःखशोकभयार्त्तानां क्लेशनिर्वाणमिच्छताम् । प्रदोषे पार्वतीशस्य पूजनं मंगलायनम् ।।*

🏻 *जिसका सार है “त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष कहा गया है। प्रदोष के समय महादेवजी कैलाशपर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। अतः धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखने वाले पुरुषों को प्रदोष में नियमपूर्वक भगवान शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिए। दरिद्रता के तिमिर से अंधे और भक्तसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिए यह प्रदोषव्रत पार लगाने वाली नौका है। शिव-पार्वती की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मृत्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर करके सम्पत्तियों से पूजित होता है।”*

*प्रदोष व्रत विधि*

🏻 *दोनों पक्षों की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार रहे। निर्जल तथा निराहार व्रत सर्वोत्तम है परंतु अगर यह संभव न हो तो नक्तव्रत करे। पूरे दिन सामर्थ्यानुसार या तो कुछ न खाये या फल लें । अन्न पूरे दिन नहीं खाना। सूर्यास्त के कम से कम 72 मिनट बाद हविष्यान्न ग्रहण कर सकते हैं।*

🏻 *जिन नियमो का पालन इन व्रत में अवश्य करना होता है, वह हैं : अहिंसा, सत्य वाचन, ब्रह्मचर्य, दया, क्षमा, निंदा और इर्ष्या न करना ।*

🏻 *जितना संभव हो सके मौन धारण करें।*

🏻 *अगर संभव हो सके तो सूर्योदय से तीन घड़ी (अर्थात 72 मिनट) पूर्व स्नान कर लें । श्वेत वस्त्र धारण करें।*

🏻 *प्रदोषकाल में पूजा करें।*

🏻 *शिव पार्वती युगल दम्पति का ध्यान करके उनकी मानसिक पूजा करें ।*

🏻 *पूजा के आरम्भ में एकाग्रचित्त हो संकल्प पढ़ें । तदनन्तर हाथ जोड़कर मन-ही-मन उनका आह्वान करे- “हे भगवान् शंकर ! आप ऋण, पातक, दुर्भाग्य और दरिद्रता आदि की निवृत्ति के लिये मुझ पर प्रसन्न हों।’ मैं दुःख और शोक की आग में जल रहा हूँ, संसार भय से पीड़ित हूँ, अनेक प्रकार के रोगों से व्याकुल हूँ। वृषवाहन! मेरी रक्षा कीजिये। देवदेवेश्वर! सबको निर्भय कर देने वाले महादेव जी! आप यहाँ पधारिये और मेरी की हुई इस पूजा को पार्वती के साथ ग्रहण कीजिये।”*

🏻 *पंचब्रह्म मंत्र का पाठ करें ।*

🏻 *रुद्रसूक्त का पाठ करें।*

🏻 *पंचामृत से अभिषेक करें।*

🏻 *षोडशोपचार पूजा करें।*

🏻 *भगवान को साष्टांग प्रणाम करें।*

*~ Today Panchang ~*

Recent Comments