! Today Panchang, 21 March,2018 !

⛅ *दिन – बुधवार* ⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *विक्रम संवत – 2075*
⛅ *अयन – उत्तरायण*
⛅ *ऋतु – वसंत*
⛅ *मास – चैत्र*
⛅ *पक्ष – शुक्ल* ⛅ *राहुकाल – दोपहर 12:45 से दोपहर 02:16 तक*
⛅ *तिथि – चतुर्थी शाम 03:28 तक तत्पश्चात पंचमी*
⛅ *नक्षत्र – भरणी शाम 07:02 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
⛅ *योग – वैधृति दोपहर 01:28 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
⛅ *सूर्योदय – 05:43*
⛅ *सूर्यास्त – 06:48*
⛅ *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी*
💥 *विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

 

🌞 *~ Today Panchang ~* 🌞

🌷 *नवरात्रि की पंचमी तिथि* 🌷
🙏🏻 *22 मार्च 2018 गुरुवार को चैत्र – शुक्ल पक्ष की पंचमी की बड़ी महिमा है। इसको श्री पंचमी भी कहते है। संपत्ति वर्धक है।*
🙏🏻 *इन दिनों में लक्ष्मी पूजा की भी महिमा है। ह्रदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपसाना करें। इस पंचमी के दिन हमारी श्री बढे, हमारी गुरु के प्रति भक्तिरूपी श्री बढ़े उसके लिए भी व्रत, उपसाना आदि करना चाहिए। पंचमं स्कंध मातेति। स्कंध माता कार्तिक स्वामी की माँ पार्वतीजी …. उस दिन मंत्र बोलो – ॐ श्री लक्ष्मीये नम:।*

🌷 *चैत्र नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *चैत्र मास की नवरात्रि का आरंभ 18 मार्च,रविवार से हो गया है । नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं-*

🙏🏻 *नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।*

🌷 *चैत्र नवरात्रि* 🌷

🙏🏻 *चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 18 मार्च, रविवार से हो गया है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। जानिए नवरात्रि में किस दिन देवी के कौन से स्वरूप की पूजा करें-*

🌷 *रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा* 🌷

*नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।*

🙏🏻 *मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।*

🌞 *~ Today Panchang ~* 🌞

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